गुरु राहु की युति से पड़ता है शिक्षा व आर्थिक स्थिति पर दुष्प्रभाव।
त्रिक भावों में पीड़ित चंद्रमा देता है अल्पायु।
सूर्य, चंद्रमा की राहु-केतु से युति करती है मातृ व पितृ सुख से वंचित।
सप्तम भाव, सप्तमेश व गुरु-शुक्र के पीड़ित होने से छिन जाता है वैवाहिक सुख.
द्वितीयेश, एकादशेश व गुरु की कमजोरी देती है दरिद्रता।
अष्टम भाव में बैठा लग्नेश देता है संघर्षमय जीवन।
1,2,4,7,8 और 12वें भाव में बैठा मंगल देता है मांगलिक दोष.
लग्न या चंद्रमा से केंद्र भावों के खाली होने पर नहीं मिलती है पद-प्रतिष्ठा।
मंगल की राहु, केतु से युति देती है भयंकर दुर्घटना।
शनि,चंद्र की युति देती है डिप्रेशन व मानसिक पीड़ा।
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